सवाल वही है और हमेशा रहेगी और तब तक रहेगी जब तक व्यवस्था सुधारी नहीं जाती। आख़िर कब सुधरेगी बिहार यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक पाठ्यक्रम? जी हैं हम बात कर रहे हैं बिहार यूनिवर्सिटी की जिसका लगभग हर बैच भारत के अन्य कॉलेजों एवं यूनिवर्सिटी से पीछे चल रहा है। अब आप हाल ही बिहार यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर द्वारा जारी किये गए नोटिफिकेशन को ही ले लें जिसमे उन्होंने बतलाया है की बिहार यूनिवर्सिटी कुछ कोर्सेज के फॉर्म्स और फी को एक्सेप्ट कर रहा है। लीजिये आप खुद ही नोटिफिकेशन भी देख लीजिये।
नोटिफिकेशन में एक बात आपको हँसा भी देगी और कहीं न कहीं चिंतित भी कर देगी। चलिए पॉइंट में दिए गए सबसे पहले कोर्से को देखें। यहाँ एमसीए के 2018-21 वाले बैच के पहले सेमेस्टर के परीक्षा फॉर्म को भरने की बात की जा रही है जिसकी तिथि कल से शुरू होकर 30 को ख़त्म हो जायेगी। पिछले साल जुलाई में शुरू हुए सेशन के पहले सेमेस्टर का परीक्षा डेट अब निकला है कमाल है यही बच्चे तो आगे जाकर मैदान मरेंगे क्यों हैं न। वहीँ इसी पॉइंट में एमसीए 2014-17 बैच के छठे सेमेस्टर का भी जिक्र है, जो की साल 2017 में ही कम्पलीट हो जाना था। अब ये बच्चे भारत के अन्य यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों से 2 साल पीछे हैं। लिस्ट में दिए गए सारे कोर्सेज पीछे चल रहे हैं। नौकरी एवं रोजगार अब इनके लिए परियों की कथा है और हो भी क्यों न, बिहार को छोड़ कर इनकी रोजगार कहीं लगने से रही। वहीँ बिहार में उपलब्ध रोजगार की बात करें तो वो ईद के चाँद से भी पीछे चल रहा।
अब और हम क्या बोलें, बस आग्रह ही कर सकते हैं बिहार यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट से की शैक्षणिक पाठ्यक्रम को ठीक की जाए।