धनतेरस पर कुछ चीजें खरीदने की परंपरा बहुत ही पुराणी है जैसे की झाड़ू। अनेकों पुराणों में इसकी व्याख्या की गयी है जैसे की मतस्य पुराण में झाड़ू को माँ लक्ष्मी का रूप बताया गया है, बृहित संहिता में झाड़ू को सुख समृद्ध में वृद्धि लेन वाला बताया गया है वहीँ मनुस्मृति में झाड़ू को दरिद्र निवारक बतया गया है।
महाभारत में भी झाड़ू से जुड़ी एक बड़ी दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है की अर्जुन और द्रोपदी की शादी नहीं हो रही थी, तब घर में एक टोटका किया गया। टोटका ये था की दोनों को अपने अपने घर में सिर्फ झाड़ू लगाना था। इसके बाद अर्जुन और द्रोपदी की शादी हो गयी।
अब बात अगर अपने शहर की करें तो केवल मुजफ्फरपुर में ही झाड़ू ने धनतरेस में 590 करोड़ रूपए से ऊपर का कारोबार किया। फिर क्या छोटे या बड़े दुकानदार सभी ने झाड़ू की स्टॉक अपने पास मौजूद रखी।
जादू के अलावा शहर के लोगों के बीच आगामी छठ पर्व से जुड़े बर्तनों का काफी क्रेज़ रहा जैसे की पीतल का दौरा, थाली, लोटा, मटका इत्यादि।
अपने शहर में वाहन का कारोबार तकरीबन 200 करोड़ के करीब रहा तो रेडीमेड कपड़ों का 100 करोड़ के। इलेट्रॉनिक्स के सामान वहीँ मोबाइल का क्रेज़ भी लोगों के बीच काफी रहा जिसमे तकरीबन 75 करोड़ का कारोबार हुआ।