वैसे तो कई मुद्दे हैं अपने शहर में जिनके बारे में हम चर्चा कर सकते हैं लेकिन मेरे ख्याल से आज शहर में बढ़ते जाम के समस्या को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत है। कारण कई हैं शहर में जाम को प्रोत्साहित करने के लिए लेकिन जिम्मेदार आवाम और सरकार दोनों हैं। इन सबके बावजूद सबसे दयनीय बात ये है की इसे सुधारने के लिए कोई तत्पर नहीं। हो भी कैसे सब अपनी जिंदगी में रफ़्तार को प्रोत्साहन जो दे रहे। हालांकि सोचने वाली बात है इस गंभीर समस्या को सुलझाए बिना उस रफ़्तार को हांसिल करना शायद बेवकूफी है। जी हाँ सही समझा आपने, शिक्षित कह कर हम खुद को ही अंधकार की ओर धकेल रहे।
हम प्रायः ख़बरों में पढ़ते रहते फलाना जगह जाम के कारण अमुख व्यक्ति की एम्बुलेंस में ही मौत हो गयी। शहर में न जाने जाम के कारण ऐसे कितने दुर्भगियों ने दम तोड़ा होगा और उन सभी मौत के जीमेदार कहीं न कहीं हम खुद हैं।
हम बात अपने शहर की ही करें तो सरकार की ओर से यहाँ कोई भी चर्चित ट्रैफिक व्यवस्था नहीं है। मैंने चर्चित इसलिए कहा क्यों की शायद सरकारी कागजात पर यह व्यवस्था हो पर शहर में मुझे तो यह व्यवस्था सूझ नहीं रहा। अगर गौर करें तो अपने शहर में एक भी पब्लिक पार्किंग स्टैंड की व्यवस्था नहीं है। तो किस हिसाब से हमें मुजफ्फरपुर को स्मार्ट सिटी कहने का हक़ है। देखा जाए तो सरकार द्वारा मुजफ्फरपुर वाशियों को इस नाम से सिर्फ और सिर्फ प्रलोबन दिया जा रहा है। हम 4-5 सालों से सुनते आ रहे की पुरे भारत में मुजफ्फरपुर को भी स्मार्ट सिटी की सूचि में शामिल किया गया है लेकिन अब लगता है की सरकार की यादों से भी स्मार्ट सिटी की तस्वीर धुंधली होती जा रही है।
ये तो बात थी सरकार की। पर हम भी सरकार से कुछ कम हैं क्या। अभी हाल ही में निगम द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था। देखा जाए तो इस अभियान में भी गरीब वर्ग से आने वाले दुकानदारों का ही सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ। वहीँ क्या आप मानते हैं की शहर से अतिक्रमण हट गया। मुझे तो यह बात ही पूरी तरह से ढकोसला लगता है, मज़ाल है की निगम कर्मी बाबूसाहेब लोग द्वारा अतिक्रम किये जमीन को खाली कर सके।
चर्चा काफी लंबी है हम आगे भी करेंगे जब तक व्यवस्था सुधरता नहीं। फिलहाल वे लोग जो मेरी बातों का सहयोग करना चाहते हैं उन लोगों से अपील है की पोस्ट को फेसबुक पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। धन्यवाद।