भारत में सरकारी स्कूलों की स्थिति कुछ खासी ही अच्छी नहीं है फिर चाहे उसकी वजह अपरिपक्व शिक्षक हो या फिर अस्वस्थ्य मिड दे मील। लेकिन भारत में अब भी कुछ ऐसे सरकारी स्कूल बचे हैं जिन्होंने सरकारी स्कूलों की लाज को बचा रखी है। अब बिहार के गया जिले के एक प्राइमरी स्कूल को ही देख लें जहाँ सिर्फ एक बच्ची को पढ़ाने के लिए स्कूल खोली जाती है।
जाह्नवी कुमारी जो की कक्षा 1 की छात्रा हैं एकलौती विद्यार्थी हैं बिहार के गया जिले के एक 5 साल पुराने सरकारी प्राथमिक विद्यालय की। स्कूल प्रसाशन का कहना है की स्कूल में कुल 9 बच्चे एडमिशन लिए हुए हैं लेकिन जाह्नवी इकलौती विद्यार्थी हैं जो की स्कूल नियमित तौर पे आती हैं।
स्कूल की एक शिक्षिका प्रियंका कुमारी का कहना है की वो जाह्नवी के पढ़ने की ललक से काफी प्रभावित हैं और इसलिए उसकी शिक्षा में कोई कमी नहीं रहने देना चाहतीं। प्रियंका ने ये भी बतलाया की एक विद्यार्थी को हर रोज 7 घंटे पढ़ने में थोड़ा उबाऊ तो लगता है लेकिन जाह्नवी के पढ़ने की ललक के सामने सब फीका पड़ जाता है। स्कूल में जाह्नवी को पढ़ाने के लिए कुल 2 शिक्षक हैं व एक रसोईये का भी इंतेज़ाम किया गया है जो उसे मिड डे मील के तहत खाना मुहैया करे।
स्कूल के प्रधानाध्यापक सत्येंद्र प्रसाद का कहना है की उन्होंने गांव के लोगों को काफी बार कहा है की वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें लेकिन ग्रामीण अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेजना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीँ प्रधानाध्यापक जी ने इस बात की ख़ुशी भी जाहिर की जाह्नवी उनके स्कूल रोजाना पढ़ने आती है और उनके स्कूल को जिंदा रखी हुई है।