26 मई 2018 को टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस द्वारा बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौपे जाने के बाद पहली बार किसी आश्रय गृह में नाबालिक लड़कियों के साथ यौन उत्प्रीड़न के बारे में खुलासा हुआ। मेडिकल टेस्ट के बाद पता चला की कुल 34 बच्चियों के साथ यौन शोषण हुआ है। इसके अलावा पीड़ितों से जब इसके बारे में पूछा गया तो पता चला उन्हें नशीली दवा देकर मारा पीटा जाता था फिर उनके साथ यौन शोषण किया जाता था।
इतने बड़े कांड का जब खुलाशा हुआ तो निम्न से उच्च स्तर के प्रशासनिक अधिकारी भी हक्के बक्के रह गए। आज दिल्ली के एक कोर्ट ने इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को 1045 पन्ने के अपने आदेश में दोषी ठहराया। इसके अलावा आरोपियों पर पोस्को एक्ट के तहत भी केस दर्ज़ किया गया। हालांकि सबूतों के अभाव में कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद साहिल उर्फ़ विक्की को बरी कर दिया है। वहीँ ब्रजेश ठाकुर समेत 19 आरोपियों के सजा का ऐलान कोर्ट 28 जनवरी को करेगी।
आरोपियों में कुल 12 पुरुष व 8 महिलाएं शामिल थी। आपको बता दें की ब्रजेश ठाकुर साल 2000 में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ चूका है जिसमे वो हर गया था।