बिहार में इस साल जहाँ एक तरफ विधानसभा चुनाव होना है वहीँ दूसरी तरफ राज्य में हड़तालों का सिलसिला ख़त्म होते नहीं दिख रहा है। एक तरफ जहाँ 17 फरवरी से ही राज्य के तकरीबन साढ़े चार लाख अनुबंधित शिक्षक अपनी 8 मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं वहीँ दूसरी ओर आज राज्य के तकरीबन 40 हज़ार मैट्रिक और इंटर के शिक्षकों ने भी अनिश्चितकाल तक हड़ताल पर जाने की घोसना कर दी है।
राज्य में हाल ही में इस साल की मैट्रिक और इंटर परीक्षा संपन्न हुई हैं जिनकी कॉपियों का मूल्यांकन अब शुरू होना है। बोर्ड द्वारा निर्धारित इंटर की कॉपियों का मूल्यांकन 26 फरवरी से होना है वहीँ 5 मार्च से मैट्रिक परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन होना है। अब प्लस टू और हाई स्कूल के तकरीबन 40 हज़ार शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के बाद सवाल ये उठता है की मैट्रिक और इंटर की परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन कैसे होगा। हालांकि बिहार बोर्ड का कहना है की परीक्षा कॉपियों का मूल्यांकन निर्धारित समय पर ही होगा वहीँ कॉपियों की मूल्यांकन प्रक्रिया को बाधित करने वालों पर कानूनी करवाई की जायेगी।
वैसे अनुबंधित शिक्षकों के हड़ताल पर जाने के बाद मैट्रिक और इंटर परीक्षाओं की वीक्षण कार्य पर भी असर पड़ा था जिसकी वजह से बोर्ड ने कई शिक्षकों के वेतन को भी रोक दिया व कइयों को नौकरी से निष्कर्षित भी किया।
शिक्षकों द्वारा हड़ताल पर जाने के पीछे सरकार से उनके कुछ प्रमुख मांगों की पूर्ति करवाना हैं जो की निम्लिखित इस प्रकार से है।
- सातवें वेतन आयोग द्वारा निर्मित 44900 व 47600 वेतनमान लागू किया जाए।
- माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों को पंचायती राज व्यवस्था से अलग किया जाए।
- शिक्षकों को समय पर वेतन भुगतान किया जाए।
- शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करवाया जाए।
- ऐच्छिक स्थानांतरण, पेंशनादि, भविष्य निधि, प्रोन्नति तथा ईपीएफ की सुविधा तुरंत लागू की जाय।
इसके अलावा भी कई शर्तें शिक्षकों ने सरकार के पास रखा है वहीँ कहा है की जब तक सरकार उनके इन तमाम शर्तों को नहीं मानती तब तक वे जनगणना, पशुगणना, मूल्यांकन समेत कोई भी सरकारी कार्य नहीं करेंगे।