पिछले कुछ दशक से बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार, लालू यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी व उपेंद्र कुशवाहा ने पैठ बना कर रखी हुई है लेकिन अब इन नेताओं का दौर अपने अंतिम चरण में है वहीँ बिहार की राजनीति में तेज़ी से कुछ युवा नेताओं का चेहरा घुलते मिलते जा रहा है। आज के हमारे इस आर्टिकल में हम आपको बिहार के राजनीति में उभरते ऐसे ही कुछ नए चेहरे के बारे में बतलायेंगे।
बिहार के राजनीति में उभरते नए चेहरे।
तेजस्वी और तेजप्रताप यादव
बिहार की सबसे बड़ी पार्टियों में से एक राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अपने राजनीतिक दौड़ को ख़त्म करते करते अपने दोनों बेटों को राजद का कमान सौंप दिया है लेकिन फिलहाल न ही तेजस्वी और न ही तेजप्रताप ने राजद को किसी भी तरह की जीत का स्वाद चखाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद की जो गति हुई थी वो सबने देखा था बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी 40 में से महज 4 सीट जीत पाई थी। उसमे भी लालू जी की बड़ी बेटी मीसा भर्ती व लालू जी की पत्नी राबड़ी देवी पाटलिपुत्र और सारण से चुनाव हार गयी थी। अब ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या राजद बिहार की राजनीति में अपनी विरासत बरक़रार रख पता हैं या नहीं।
चिराग पासवान
बिहार की राजनीति में अभी तक अगर किसी युवा चेहरा को सबसे कामयाब माना जा रहा है तो वो है रामविलास पासवान जी के पुत्र चिराग पासवान को। वजह ये की चिराग पासवान जी भी अपने पिताजी की तरह ही पॉलिटिक्स करते हैं। हम सब रामविलास जी के पॉलिटिक्स से भलीभांति परिचित हैं की रामविलास जी उन्ही के साथ हाँथ मिलाते हैं जो सरकार बनाते हैं और यही कारण है की चिराग पासवान जी ने अभी तक हार का स्वाद नहीं चखा है। बहरहाल कुछ भी कहिये रामविलास जी का पॉलिक्स सबसे चालक रहता है।
मुकेश सहनी
पिछले विधानसभा चुनाव से ही सन ऑफ़ मल्लाह के नाम से मशहूर हुए वीआइपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने बिहार राजनीति में कदम रखा व सब लोगों को हिला कर रख दिया। वो अलग बात है की उन्होंने कोई सीट नहीं जीता लेकिन महागठबंधन में मुकेश साहनी का अच्छा पैठ है।
कन्हैया कुमार
बिहार में एक जमाने के बाद यात्रा पॉलिटिक्स की शुरुआत करने वाले व केंद्र सरकार को सीधे चुनौती देने वाले जेएनू पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हाई कुमार बिहार की राजनीति में एक नए चेहरे के रूप में उभरते देखे जा रहे हैं वहीँ अब सवाल ये बनता है की क्या बिहार कन्हैया के जरिये वामपंथ को फिर से जिन्दा कर पायेगा या नहीं।
प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार व जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार की राजनीति में तेज़ी से प्रसिद्ध होते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने बिहार को देश की 10 सबसे अग्रिम राज्य बनाने के लिए बात बिहार की अभियान की शुरुआत की जिसमे पहले दिन ही 4 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सां लिया। हालांकि प्रशांत किशोर ने पुष्टि की है की वो कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं बनाएंगे लेकिन प्रशांत किशोर का इतिहास तो राजनीति से ही जुड़ा हुआ है। वहीँ आगामी विधानसभा चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा की प्रशांत अपना योग्यदान देकर चुनाव को कैसे प्रभावित करते हैं।