भारत में 25 मार्च को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया गया है जो आगामी 14 अप्रैल को जाके ख़त्म होगा। वहीँ कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के कुछ शोधार्थियों की माने तो अगर 25 मार्च को भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो स्तिथि काफी भयावह होती। इसके अलावा उन्होंने कहा की 21 दिनों का लॉकडाउन भारत में कोरोना को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए काफी नहीं है।
शोधार्थियों की माने तो अगर देश को 13 मई तक लॉकडाउन किया जाए फिर भी मरीज़ों की संख्या 10 तक रह जायेगी। शोधार्थियों का कहना है की अगर 15 अप्रैल तक लोग बंदी का पूर्णतः पालन करते है तब भारत में कोरोना सक्रिय मरीज़ों की संख्या 113 होगी, वहीँ कुल मरीज़ 1465 होंगे। उसके बाद अगर लॉकडाउन को फिर से 21 दिनों के लिए खोला जाए तो 6 मई को भारत में सक्रिय मरीज़ों की संख्या 2731 हो जायेगी वहीँ कुल मरीज़ों की संख्या 6458 हो जायेगी।
भारत के स्वास्थ्य, प्रबंधन, लोजिस्टिक्स और फाइनेंस से जुड़े विशेषज्ञों की एक समिति ने मई में दूसरे लॉकडाउन की सिफारिश की है। प्रधानमंत्री की ओर से देशव्यापी लॉकडाउन की घोसणा से कुछ दिन पहले 17 मार्च को यह रिपोर्ट तैयार की गयी है। इसमें 20 मार्च से 12 अप्रैल के बीच देश में लॉकडाउन के पहले चरण की सिफारिश की गयी है। इस रिपोर्ट में 17 अप्रैल से बंदिशें काम करने के बाद 18 से 31 मई तक दोबारा लॉकडाउन की सिफारिश की गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है की उसके बाद ही हालात सामान्य होने शुरू होंगे।
सोर्स: दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर