बिहारी मजदूर कोरोना के खौफ से दिल्ली-मुंबई से घर लौट रहे। स्टेशन पे उमड़ी भीड़।
प्रदर्शत चित्र

पूरे विश्व को हिला कर रख देने वाले कोरोना वायरस का असर अब भारत में भी दिखने लगा है। देश के कई प्रमुख शहर इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। उद्योग पर इसका काफी असर पड़ रहा है। कंपनियों की अगर सुने तो काम बिलकुल ठप पड़ चूका है हो भी क्यों ना ये वायरस है ही इतना खतरनाक, फिलहाल तो इसको दूर रखने का एक ही उपाय है की लोगों से कम मिले, जीतना हो सकता है कम बाहर निकलें।

बहार शहरों के उद्योगों में काम करने वाले मजदूर भी अब होने घर को लौटने लगे हैं। कुछ डर से लौट रहे हैं तो कुछ काम ना मिलने की वजह से। स्टेशंस पर आप भीड़ देख सकते हैं। सब अपने अपने घर को लौट जाने को तैयार है पर सोचने की बात ये है की क्या हम इतने जागरूक हैं की इसको रोक सकें। क्या हमारे पास इतनी व्यवस्था है? क्या हम एयरपोर्ट्स के जैसे अपने स्टेशंस पर चेकिंग कर रहे हैं ?

एक बार अगर इस दृष्टिकोण से देखें तो आपको समझ आएगा की कोरोना अगर हमारे गाँव तक पहुँच जाए तो असर कितना व्यापक होगा। गावों में जाते ही हम न जाने कितने लोगों से मिलते जुलते हैं। शहर की चलने में कई ज्यादा। अब अगर सोचिये की गाँव में किसी व्यक्ति को कोरोना हो जाए तो क्या होगा। शहरों की तुलना में गाँव में हॉस्पिटल और स्वास्थ्य सुविधायें बहुत काम होती हैं। ऊपर से लोग गाँव में मामूली बुखार समझ कर इसे टाल भी देंगे मगर सोचिये एक बार यह हमारे गाँव तक पहुंच गया तो क्या इसे रोकना आसान होगा ? तो क्या इसके वजह से लोगों को अपने गाँव जाने से रोक दें ? जवाब है “नहीं “, रोकें नहीं बल्कि रेलवे स्टेशन पर भी चेकिंग की सम्पूर्ण व्यवस्था हो। ऐसे माध्यम होने चाहिए जो गाँव के लोगों को भी जागरूक करें इस विषय पर।

कोरोना एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान केवल और केवल हम सब के एक साथ जागरूक होने से ही होगा। हमें एक दूसरे को जागरूक करते रहना होगा, घबराना नहीं है मगर हाथ पर हाथ धरे बैठना भी नहीं है। पढ़े लिखे लोगों का यह कर्त्वय है की वो उन लोगों को जागरूक करें जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं , गाँव में हैं। इस आपदा से हमें एक साथ मिलकर ही लड़ना होगा। इस विप्पत्ति में बाहर निकलने से बचें, अपनों से फ़ोन पर बात करते रहेें, जिन्हें जानकारी न हो उन्हें सतर्क करते रहें। मुझे पूरा विश्वास है की इस विपदा से हम जरूर बाहर आएंगे।

सभी से अनुरोध है की अनावश्यक घर से बाहर न निकलें। हाथ निश्चित अंतराल पर साबुन से धोते रहें और हाँ उम्मीद ना खोएं। संदेह में नजदीकी अस्पताल में चेकउप करवा आएं। समस्या गंभीर है इसे टाले नहीं।

सौरभ कुमार टोनी

अगर मगर और काश में हूँ मैं ख़ुद ही ख़ुद की तलाश में हूँ। भावनाओं को शब्दों में पिरोने...

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