बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में देश के पहले 100 बेड वाले पीकू वार्ड का उद्घाटन किया। इस 100 बेड वाले पीकू वार्ड के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एसकेएमसीएच में ही 60 बेड वाले इंसेफ्लाइटिस वार्ड का भी उद्घाटन किया।
जिन लोगों को नहीं पता उन्हें बतला दें की पीकू को हम हिंदी में शिशु गहन चिकित्सा इकाई कहते हैं जो एक अस्पताल का वो हिस्सा होता है जहाँ गंभीर रूप से बीमार शिशुओं, बच्चों, किशोरों और 0-21 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों की देखभाल करने की विशेषज्ञता रखता है। दूसरी ओर इंसेफ्लाइटिस वार्ड में ऐसे मरीज़ों का इलाज़ होता है जो एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से जूझ रहे हों। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को बिहार में हिंदी में चमकी बुखार का नाम दिया गया है।
आपमें से बहुतों को मालूम ही होगा की पिछले वर्ष चमकी बुखार की वजह से बिहार के अलग अलग हिस्सों में और मुख्यतः मुजफ्फरपुर में 150 से भी ज्यादा बच्चों की जान चली गयी थी। इसे देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले वर्ष 25 सितम्बर को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में 100 बेड वाले पीकू वार्ड 60 बेड वाले इंसेफ्लाइटिस वार्ड का आधार शिला रखा था। हाल में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में 72 करोड़ की लागत वाला यह दोनों वार्ड बनकर तैयार हो गया था जिसका शिलान्याश आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये किया है। इन दोनों वार्ड के अलावा एसकेएमसीएच अस्पताल में मरीज़ों के परिजनों के ठहरने के लिए 50 बेड के धर्मशाला का भी प्रबंध किया गया है।
क्या होता है चमकी बुखार?
भारत में अब तक चमकी बुखार ने सिर्फ दो राज्यों में दस्तक दी है जिसमे बिहार और उत्तर प्रदेश शामिल है। चमकी बुखार का पहला मामला साल 1995 में मुजफ्फरपुर में दर्ज किया गया था। साल 2013 में इस बिमारी ने भारत में 143 जानें ली, वहीँ साल 2014, 2017, 2018 में इस बिमारी ने देश में कुल 355, 11, और 7 जानें ली। और जैसा की मैंने ऊपर बतलाया है की पिछले वर्ष सिर्फ बिहार में इस बिमारी 150 से अधिक लोगों की जान गयी। चमकी बुखार में मरीज़ों को बुखार, मानसिक भ्रम, भटकाव, प्रलाप, आक्षेप और कोमा तक आ जाता है। लेकिन शुरूआती लक्षण में इस बीमारी से पहले मरीज़ के शरीर में रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट आती है साथ ही साथ सिरदर्द और उल्टी भी होती है। फिर बाद में मरीज़ के शरीर में इस बिमारी का संक्रमण ज्यादा फैलने से कोमा, मस्तिष्क शिथिलता और हृदय और फेफड़ों में सूजन तक हो जाती है जिसके वजह से मरीज़ की मृत्यु तक हो सकती है। इसके अलावा जो मरीज़ इस बिमारी से बच जाते है उनमें भी दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल कमजोरियां रह जाती है।
अब अच्छी बात ये है की बिहार में चमकी बुखार के लिए एक बड़ा स्पेशल वार्ड किसी अस्पताल में मौजूद है और हम आशा करते हैं की इस बिमारी से लड़ने के लिए बिहार सरकार जल्द ही राज्य के अन्य अस्पतालों में भी ऐसे ही स्पेशल वार्ड बनवाये। बहरहाल इस आर्टिकल में अभी के लिए इतना ही, आप अपने प्रतिक्रियायों को निचे कमेंट सेक्शन में हमें बतला सकते हैं।
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