बीते जुलाई को मुजफ्फरपुर के मेयर सुरेश कुमार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को पारित कर दिया गया था जिसे नगर विकास विभाग ने अब अवैध घोषित कर दिया है और कहा की फिलहाल मुजफ्फरपुर के मेयर सुरेश कुमार ही रहेंगे।
दरअसल अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद अभी हाल ही में मुजफ्फरपुर के डीएम प्रणव कुमार ने नगर विकास विभाग को एक पत्र लिखा जिसमे उन्होंने इस संदर्भ में विभाग से मार्गदर्शन माँगा।
डीएम के लिखे पत्र का जवाब देते हुए नगरपालिका प्रशासन निर्देशालय के अवर सचिव राम सेवक प्रसाद ने राज्य निर्वाचन आयोग का हवाला देते हुए कहा की अविश्वास प्रस्ताव के लिए आयोजित बैठक की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी। इसमें बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 49 का अवहेलना किया गया है। अधिनियम के अनुशार बैठक की सुचना सभी पार्षदों को 72 घंटे पूर्व दी जानी चाहिए थी जिसका अनुपालन नहीं हुआ। अतः इस बारे में अवर सचिव का कहना है की इस स्थिति में तत्कालीन मेयर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं माना जा सकता। वर्तमान में उनके द्वारा ही मेयर पद के दायित्व की पूर्ति की जायेगी।
इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव की बैठक के लिए विधिसम्मत प्रक्रिया न अपनाने हेतु मुजफ्फरपुर के नगर आयुक्त से स्पष्टीकरण भी माँगा है।
विभाग का कहना है की विधिवत प्रक्रिया द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की बैठक की जा सकती है।
इस बारे में मानमर्दन शुक्ला ने कहा की मुजफ्फरपुर मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पार्षदों के निर्णय के बाद बुलाई गयी थी। उनका निर्णय सर्वोपरि है।
आखिर मुजफ्फरपुर के मेयर सुरेश कुमार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह क्या थी?
दरअसल मेयर सुरेश कुमार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की नीव बैंक रोड स्थित दुकानों को हटाने के मुद्दे पर गरमाई राजनीती से ही शुरू हो चुकी थी।
मेयर सुरेश कुमार ने निगम के स्टॉलधारकों को पैसा जमा करने व लीज के रिन्यूअल के लिए नोटिस जारी किया था जिसका पार्षदों के एक समूह ने विरोध कर दिया। इसके अलावा सफाई के आउटसोर्सिंग मुद्दे पे भी मेयर और पार्षदों के बीच गहमगहमी हो गई।
इसी बीच 10 जुलाई को उप-मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसकी बैठक मेयर ने 23 जुलाई को निर्धारित की। इससे पहले की उप-मेयर के खिलाफ वोटिंग होती, मेयर के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव ला दिया गया।
इसके बाद मेयर अपने कार्यालय नहीं आये और नगर आयुक्त ने उन्हें पद्च्युक्त करार देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को मेयर चुनाव कराने की अनुशंसा कर दी। अनुशंसा होता इससे पहले ही मेयर ने दो बार अपने लेटर हेड का इस्तेमाल करते हुए निर्देश जारी की जिसका कई स्तरों पर विरोध जताया गया। इसी बीच पार्षद नंदू बाबू ने मेयर चुनाव जल्द कराने की मांग को लेके रीट दाखिल कर दी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को इस मामले में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया।
वहीँ अब डीएम प्रणव कुमार द्वारा नगर विकास विभाग से मांगे गए मार्गदर्शन से यह साफ़ हो गया की फिलहाल मुजफ्फरपुर के मेयर सुरेश कुमार ही रहेंगे।
निगम में अनुपस्तिथि के दौरान जन हित में लिए गए सभी निर्णय के साथ है मेयर
मेयर सुरेश कुमार के पद पर लौटने के बाद उनसे बातचीत करने पे उन्होंने बोला की मेरे अनुपस्थिति में 2 माह 14 दिन में लिए गए बोर्ड के सभी निर्णय को देख रहा हूँ। जन हित में लिए गए सभी निर्णय के साथ हूँ। फिलहाल शहर में जलजमाव की समस्या गहरी है और प्राथमिक है।
सोर्स: हिंदुस्तान